जनता के स्‍वास्‍थ्‍य की बेहतरी की ओर मोदी सरकार का एक और कदम

जनता के स्‍वास्‍थ्‍य की बेहतरी की ओर मोदी सरकार का एक और कदम

सेहतराग टीम

डिजिटल थर्मामीटर, ब्‍लड प्रेशर मापने वाली मशीन, ग्‍लूकोमीटर और नेब्‍युलाइजर, ये चार ऐसे उपकरण हैं जो एक आम मध्‍यम वर्गीय शहरी परिवार में आजकल जरूर मौजूद होते हैं। दरअसल बीपी, शुगर की बढ़ती समस्‍या और प्रदूषण के कारण बच्‍चों में दम फूलने की समस्‍या ने इन मशीनों को हर घर के लिए अपरिहार्य बना दिया है। मगर मुश्किल ये है कि इन मशीनों की गुणवत्‍ता को लेकर बाजार में अब तक किसी तरह का कोई नियमन मौजूद नहीं था।

इसी को ध्‍यान में रखते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अब इन चार मशीनों को औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत औषधि के रूप में अधिसूचित कर दिया है। इस कदम से सरकार को अब इनकी गुणवत्ता को बनाए रखने में सहायता मिलेगी। भारत के औषिध महानियंत्रक (डीसीजीआई) एक जनवरी, 2020 से इन उपकरणों के आयात, निर्माण और बिक्री को नियंत्रित करेंगे।

इन उपकरणों को मेडिकल उपकरण नियम 2017 के तहत निर्दिष्ट गुणवत्ता मानकों के तहत पंजीकृत किया जाएगा और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) प्रमाणन द्वारा निर्धारित अन्य मानकों के तहत पंजीकृत किया जाएगा।

देश के सर्वोच्च दवा सलाहकारी संगठन, औषधि तकनीकी सलाहकार निकाय (डीटीएबी) ने उस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिससे औषधि कानून के दायरे में नेब्युलाइज़र, रक्तचाप मापक उपकरण, डिजिटल थर्मामीटर और ग्लूकोमीटर शामिल करने की बात कही गई थी। 

वर्तमान में, देश का औषधि नियामक गुणवत्ता के लिए केवल 23 चिकित्सा उपकरणों की निगरानी करता है। चार नए उपकरणों को अधिसूचित किए जाने के साथ, 27 चिकित्सा उपकरण अब अधिनियम के तहत दवाओं की परिभाषा में आ गये हैं।

अन्य चिकित्सा उपकरण बिना किसी गुणवत्ता जांच या नैदानिक ​​परीक्षणों के बेचे जाते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का प्रस्ताव है कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के दायरे में 'औषधि' की परिभाषा के तहत उपकरणों की सूची का विस्तार करते हुए आठ नई श्रेणियां बनाई जाएं।

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